वास्तविक गुरु की क्या पहचान है गुरु को कैसे होना चाहिए
क्या है गुरु की महिमा
इस सत्संग में वास्तविक सद्गुरु की पहचान बताई गई है गुरु जो साक्षात ब्रह्म स्वरुप है गुरु जो साक्षात परमात्मा है गुरु जिसे अहंकार नहीं कि वह गुरु है गुरु जो विश्वास है जो श्रद्धा है
सच्चा गुरु वही है जो आपको बेसर्त स्वीकार करता है जो आपको परम प्रकाश की ओर गतिमान करता है और अमृत का पान कराता है
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर: । गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।’ उक्त श्लोक के अनुसार जब गुरु ही सब कुछ है तो लोग अन्य देवी-देवताओं की पूजा आराधना क्यों करते हैं?
देखिये अधिकतम लोग इस श्लोक के अर्थ का अनर्थ करते हैं।
सबसे पहले गुरु का अर्थ देखें।
गुकारस्त्वन्धकारस्तु रुकार स्तेज उच्यते ।
अन्धकार निरोधत्वात् गुरुरित्यभिधीयते ॥
गु माने अन्धकार और रु माने प्रकाश। अर्थात जो अज्ञान के अन्धकार को दूर करके प्रकाश की ओर ले चले वह गुरु है।
अब ऐसा गुरु कोई व्यक्ति नहीं हैं।
उपरोक्त श्लोक का अर्थ है जो गुरु तत्व मेरे गुरुदेव (शरीर) में व्याप्त है वह व्रह्मा है, विष्णु है, शिव है और परम ब्रह्म है। उस गुरु तत्त्व को प्रणाम है।