सीता माता का उपदेश हनुमान जी को, सीता माता के द्वारा दिया गया आत्मज्ञान और राम की असली पहचान बताना की सच्चिदानंद राम कौन है यह अध्यात्म रामायण है जो आपको आपका परिचय कराती है जो सहज ही आत्मबोध उपलब्ध कराती है और जो राम सब में रमा है उसका दर्शन कराती है दशरथ की ३ रानियाँ कौन? : त्रिगुण (सत + रज + तम) यही सत कौशल्या, रज सुमित्रा, और तम कैकेयी हैं. योगी दशरथ को पुरुषार्थ की प्राप्ति : – एक योगी ही अपने जीवन में चरों पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) की प्राप्ति का सकता है. दशरथ रूपी साधक ने भी इन चारों पुरुषार्थों को प्राप्त किया था; ( धर्म – राम, अर्थ – लक्ष्मण, काम – भरत , मोक्ष – शत्रुघ्न).. राम हैं – धर्म: – राम धर्म का प्रतीक हैं. धर्म को परिभाषित किया गया है – “धारयति असौ सह धर्मः”. अर्थात हमारे अस्तित्व को धारण करे वह धर्म है. जिससे हमारा अस्तित्व है और जिसके अभाव में हम अपनी पहचान खो देते हैं, वह नियामक तत्व धर्म है. इस परिभाषा के अनुसार हम मानव हैं, इंसान हैं, अतः हमारा धर्म है – ‘मानवता’, ‘इंसानियत’. यह मानवधर्म हमारी सोच, विचार, मन और आचरण से निःसृत होता है; इसलिए इसका नाम है – ‘राम’. “रम्यते इति राम:” अर्थात जो हमारे शारीर में, अंग-प्रत्यंग में रम रहा है, वही है – ‘राम’; और वही है – ‘धर्म’. इस राम के कई रूप हैं, सबकी अपनी अपनी अनुभूतियाँ हैं – “एक राम दशरथ का बेटा, एक राम है घट – घट लेटा / एक राम का जगत पसारा, एक राम है सबसे न्यारा.”